📌 प्रस्तावना
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने कंपनी की वार्षिक आम बैठक (AGM) में एक बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि गुजरात के कच्छ क्षेत्र में दुनिया के सबसे बड़े सिंगल-साइट सोलर प्रोजेक्ट्स में से एक का निर्माण किया जाएगा। इस परियोजना से अगले दशक में भारत की लगभग 10% बिजली की ज़रूरत पूरी हो सकेगी।
🏭 कच्छ में 5.5 लाख एकड़ ज़मीन पर विशाल प्रोजेक्ट
- यह सौर ऊर्जा परियोजना लगभग 5,50,000 एकड़ भूमि पर विकसित होगी।
- इसका आकार सिंगापुर की भूमि से तीन गुना बड़ा होगा।
- परियोजना के चरम (Peak) समय में हर दिन 55 मेगावॉट सोलर मॉड्यूल और 150 मेगावॉट-घंटे बैटरी कंटेनर स्थापित किए जाएंगे।
- इसे वैश्विक स्तर पर सबसे तेज़ी से स्थापित प्रोजेक्ट्स में गिना जाएगा।
⚡ भारत की 10% बिजली की ज़रूरत पूरी होगी
- मुकेश अंबानी ने बताया कि यह प्रोजेक्ट आने वाले दशक में देश की लगभग 10% बिजली की मांग पूरी कर सकेगा।
- यह परियोजना जामनगर और कांडला में रिलायंस के मौजूदा समुद्री और स्थलीय ढांचे से जुड़ी होगी।
- इसका लाभ यह होगा कि सोलर और ग्रीन हाइड्रोजन का बड़े पैमाने पर एकीकरण (Integration) संभव हो पाएगा।
🌍 लक्ष्य वर्ष 2032 तय
- रिलायंस ने 2032 तक इस परियोजना को पूरी क्षमता पर लाने का लक्ष्य रखा है।
- कंपनी ग्रीन अमोनिया, ग्रीन मिथेनॉल और सतत विमानन ईंधन (Sustainable Aviation Fuel) जैसे हरित उत्पाद भी बनाएगी।
- इन उत्पादों को न केवल भारत में उपयोग किया जाएगा बल्कि अन्य देशों में निर्यात भी किया जाएगा।
- कंपनी का उद्देश्य भारत को ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन का वैश्विक केंद्र बनाना है।
🏭 ग्रीन हाइड्रोजन की क्षमता 3 मिलियन टन प्रति वर्ष
- शुरुआती चरण में कंपनी अपनी आवश्यकताओं के लिए ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग करेगी।
- 2032 तक इसकी उत्पादन क्षमता बढ़ाकर 3 मिलियन टन प्रतिवर्ष की जाएगी।
- इस स्तर पर भारत विश्व का अग्रणी ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादक देश बन जाएगा।
🏗️ सोलर पैनल फैक्ट्री की शुरुआत
- रिलायंस की नई सोलर मॉड्यूल उत्पादन फैक्ट्री अब कार्यरत हो गई है।
- शुरुआत में यहां से 200 मेगावॉट एचजेटी (HJT) सोलर मॉड्यूल का निर्माण शुरू हुआ है।
- ये मॉड्यूल पुराने मॉड्यूल की तुलना में:
- 10% अधिक बिजली उत्पन्न करते हैं।
- गर्मी में 20% अधिक कुशलता से काम करते हैं।
- खराब होने की संभावना 25% कम होती है।
🔋 बैटरी और इलेक्ट्रोलाइज़र गीगा फैक्ट्री
- रिलायंस दो नई गीगा फैक्ट्रियां भी बना रही है:
- बैटरी निर्माण फैक्ट्री – 2026 में शुरू होगी।
- प्रारम्भिक क्षमता: 40 गीगावॉट प्रतिवर्ष।
- भविष्य में क्षमता: 100 गीगावॉट तक बढ़ाई जाएगी।
- इलेक्ट्रोलाइज़र फैक्ट्री – 2026 के अंत तक शुरू होगी।
- प्रारम्भिक क्षमता: 3 गीगावॉट प्रतिवर्ष।
- बैटरी निर्माण फैक्ट्री – 2026 में शुरू होगी।
👉 इन दोनों फैक्ट्रियों से बड़े पैमाने पर और सस्ते दर पर ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन संभव होगा।
🌱 ऊर्जा संक्रमण में भारत की बड़ी छलांग
- मुकेश अंबानी ने कहा कि सोलर ऊर्जा, बैटरी स्टोरेज और हाइड्रोजन उत्पादन को एक साथ जोड़ने से:
- बड़े पैमाने की अर्थव्यवस्था (Economy of Scale) का लाभ मिलेगा।
- लागत कम होगी।
- बेहतर तकनीक और मज़बूत सप्लाई चेन विकसित होगी।
- यह प्रोजेक्ट न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के ऊर्जा संक्रमण (Energy Transition) को गति देगा।
💰 दीर्घकालिक लाभ और निवेशकों के लिए संकेत
- अंबानी ने स्पष्ट किया कि यह प्रोजेक्ट केवल ऊर्जा उत्पादन ही नहीं बल्कि कंपनी के लिए दीर्घकालिक लाभकारी निवेश भी होगा।
- इस हरित पहल से रिलायंस को वैश्विक बाजार में “क्लीन एनर्जी लीडर” की पहचान मिलेगी।
📝 निष्कर्ष
गुजरात के कच्छ में बनने वाला यह सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट भारत के ऊर्जा क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक बदलाव साबित होगा।
- यह न केवल देश की 10% बिजली की आवश्यकता पूरी करेगा,
- बल्कि भारत को ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन का वैश्विक केंद्र बनाने की दिशा में भी एक मज़बूत कदम होगा।
मुकेश अंबानी का यह ऐलान साफ़ दर्शाता है कि आने वाले दशक में भारत नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में विश्व का अग्रणी देश बनेगा।
