सिरदर्द से दिल की बीमारी तक: इंटरमिटेंट फास्टिंग से वजन घटाने की 7 बड़ी हानियाँ

दिसम्बर 24, 2025 12:11 पूर्वाह्न

परिचय

आजकल फिटनेस और वजन घटाने की बात हो और इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent Fasting) का ज़िक्र न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। सोशल मीडिया, फिटनेस गुरुओं और कई सेलिब्रिटीज़ ने इसे एक ट्रेंड बना दिया है। 16:8, 5:2 जैसे पैटर्न अब हर किसी के लिए “फैट-लॉस का शॉर्टकट” माने जा रहे हैं।

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये डाइट पैटर्न उतने ही सुरक्षित हैं जितना बताया जाता है? हाल के शोध और मेडिकल रिपोर्ट्स कहती हैं कि इंटरमिटेंट फास्टिंग जितनी फायदेमंद दिखती है, उतनी ही खतरनाक भी हो सकती है। सिरदर्द से लेकर दिल की बीमारी तक—इस ट्रेंडी डाइट के कई साइड इफेक्ट्स सामने आए हैं।


1. लगातार सिरदर्द, थकान और चक्कर आना

इंटरमिटेंट फास्टिंग के शुरुआती दिनों में ही कई लोग लो ब्लड शुगर (Hypoglycemia), डिहाइड्रेशन और इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन से जूझते हैं।

  • भोजन स्किप करने से शरीर को पर्याप्त ग्लूकोज़ नहीं मिलता।

  • इससे सिरदर्द, चक्कर, चिड़चिड़ापन और मानसिक थकान होती है।

  • कामकाज और पढ़ाई में ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो जाता है।

👉 विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय तक ऐसा करने से यह समस्या क्रॉनिक रूप ले सकती है।


2. दिल की बीमारियों का बढ़ा हुआ खतरा

हाल ही में अमेरिका में 20,000 से ज़्यादा वयस्कों पर हुए एक अध्ययन में पाया गया कि:

  • जो लोग दिन में सिर्फ 8 घंटे या उससे कम समय में भोजन करते थे, उनमें दिल की बीमारी से मौत का खतरा 91% ज़्यादा था।

  • एक और रिसर्च ने इसी पैटर्न को 135% तक बढ़े हुए कार्डियोवस्कुलर रिस्क से जोड़ा।

👉 यानी दिल के मरीजों और हाई बीपी वालों को यह डाइट बिल्कुल भी नहीं अपनानी चाहिए।


3. न्यूट्रिशनल गैप और बुज़ुर्गों में मांसपेशियों की हानि

खाने का समय सीमित करने से लोग अक्सर ज़रूरी विटामिन, प्रोटीन और मिनरल्स की कमी से जूझते हैं।

  • बुज़ुर्गों में इसका असर और खतरनाक है क्योंकि:

    • उनका वजन बहुत तेजी से गिर सकता है।

    • मसल लॉस (Muscle Loss) और हड्डियों की कमजोरी हो सकती है।

    • इम्यूनिटी घटने लगती है।

👉 बुज़ुर्गों के लिए यह डाइट स्वास्थ्य सुधारने की बजाय और नुकसानदायक हो सकती है।


4. ओवरईटिंग और मेटाबॉलिज़्म का गड़बड़ होना

फास्टिंग के लंबे घंटों के बाद जब खाने का वक्त आता है तो शरीर का हंगर हार्मोन (Ghrelin) तेज़ी से सक्रिय हो जाता है।

  • इससे लोग ज़रूरत से ज़्यादा खा लेते हैं (Binge Eating)।

  • लंबे समय में यह मेटाबॉलिज़्म को धीमा कर देता है।

  • कई लोग वजन घटाने की बजाय बढ़ा लेते हैं।

👉 रिसर्च यह भी बताती है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग करने वाले युवाओं में डिसऑर्डर्ड ईटिंग (खाने की आदतों में गड़बड़ी) की समस्या बढ़ जाती है।


5. युवाओं में खान-पान संबंधी विकार (Disordered Eating)

एक कनाडियन स्टडी में पाया गया कि 2,700 से अधिक किशोर और युवा वयस्कों में से जो इंटरमिटेंट फास्टिंग करते थे, खासकर महिलाएँ, वे ईटिंग डिसऑर्डर से अधिक प्रभावित हुईं।

  • लगातार फास्टिंग से गॉलब्लैडर स्टोन (पित्त की पथरी) का खतरा बढ़ता है।

  • लंबा उपवास शरीर पर मेटाबॉलिक स्ट्रेस डालता है।

  • कई लोग खाने की लालसा, अपराधबोध और चिंता से जूझने लगते हैं।

👉 युवाओं और किशोरों में यह मानसिक और शारीरिक दोनों स्तर पर नुकसानदायक है।


6. ब्लड प्रेशर और हार्मोनल असंतुलन

सुबह का नाश्ता छोड़ना इंटरमिटेंट फास्टिंग का आम हिस्सा है। लेकिन:

  • सुबह शरीर का कोर्टिसोल लेवल पहले से ही हाई रहता है।

  • इस वक्त उपवास करने से ब्लड प्रेशर और तनाव हार्मोन और बढ़ जाते हैं।

  • दिल और दिमाग दोनों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।

👉 लंबे समय में यह हाइपरटेंशन और हार्मोनल डिसऑर्डर का कारण बन सकता है।


7. मानसिक स्वास्थ्य पर असर और टिके रहने की समस्या

इंटरमिटेंट फास्टिंग को लंबे समय तक बनाए रखना आसान नहीं है।

  • रिसर्च बताती है कि इस डाइट को अपनाने वालों में से 38% लोग बीच में ही छोड़ देते हैं।

  • खाने-न खाने का यह चक्र मानसिक तनाव और फ्रस्ट्रेशन पैदा करता है।

  • ईटिंग डिसऑर्डर से रिकवर कर रहे लोगों के लिए यह डाइट खतरनाक हो सकती है।

👉 यानी यह डाइट लंबे समय में अनसस्टेनेबल (Unsustainable) साबित होती है।


विशेषज्ञों की राय

  • कार्डियोलॉजिस्ट्स मानते हैं कि दिल के मरीजों को कभी भी इस डाइट पर प्रयोग नहीं करना चाहिए।

  • डायटीशियन्स कहते हैं कि संतुलित भोजन और नियमित एक्सरसाइज ही सुरक्षित तरीका है।

  • फिटनेस ट्रेनर्स का कहना है कि फास्टिंग से मसल लॉस तेज़ होता है, जो शरीर को कमजोर बना देता है।


स्वस्थ विकल्प क्या हो सकते हैं?

अगर आप वजन घटाना चाहते हैं तो इन हेल्दी विकल्पों पर ध्यान दें:

  1. संतुलित डाइट – समय पर नाश्ता, दोपहर और रात का खाना लें।

  2. पॉर्शन कंट्रोल – प्लेट में भोजन की मात्रा सीमित रखें।

  3. रेगुलर एक्सरसाइज – वॉकिंग, योग और जिम को रूटीन बनाएं।

  4. हाइड्रेशन – पर्याप्त पानी और हर्बल ड्रिंक्स लें।

  5. नींद पूरी करें – 7-8 घंटे की अच्छी नींद मेटाबॉलिज़्म को तेज़ करती है।


निष्कर्ष

इंटरमिटेंट फास्टिंग एक ट्रेंडी डाइट ज़रूर है, लेकिन इसके लॉन्ग-टर्म साइड इफेक्ट्स को नज़रअंदाज़ करना खतरनाक हो सकता है। सिरदर्द और थकान से लेकर दिल की बीमारी और ईटिंग डिसऑर्डर तक, इसके जोखिम गंभीर हैं।

👉 वजन घटाने और सेहत सुधारने के लिए संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और स्वस्थ जीवनशैली ही सबसे सुरक्षित और टिकाऊ विकल्प है।

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