नोएडा में खुली भारत की पहली टेम्पर्ड ग्लास फैक्ट्री: 70 करोड़ का निवेश, 4,500 नई नौकरियाँ और स्टॉक मार्केट में तेजी

दिसम्बर 23, 2025 10:27 अपराह्न

परिचय

भारत अब धीरे-धीरे इलेक्ट्रॉनिक्स और टेक्नोलॉजी मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेज़ कदम बढ़ा रहा है। इसी कड़ी में Optiemus Infracom और Corning Inc. (अमेरिका की सामग्री तकनीकी कंपनी) ने मिलकर नोएडा में भारत की पहली टेम्पर्ड ग्लास फैक्ट्री स्थापित की है।

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 30 अगस्त 2025 को इस फैक्ट्री का उद्घाटन किया। यह कदम न केवल “मेक इन इंडिया” मिशन को गति देगा बल्कि भारत को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स सप्लाई चेन में और अधिक मज़बूत स्थिति दिलाएगा।


निवेश और उत्पादन क्षमता

  • इस प्रोजेक्ट के पहले चरण में ₹70 करोड़ का निवेश किया गया है।
  • फैक्ट्री की वर्तमान वार्षिक उत्पादन क्षमता 25 मिलियन टेम्पर्ड ग्लास यूनिट्स है।
  • अगले चरण में ₹800 करोड़ का और निवेश होगा, जिससे उत्पादन क्षमता बढ़कर 200 मिलियन यूनिट्स प्रति वर्ष तक पहुँच जाएगी।

👉 इससे भारत की घरेलू मांग का बड़ा हिस्सा यहीं से पूरा होगा और आयात पर निर्भरता कम होगी।


रोजगार सृजन

  • पहले चरण में 600 से अधिक प्रत्यक्ष नौकरियाँ मिलेंगी।
  • विस्तार के बाद यह संख्या बढ़कर लगभग 4,500 नौकरियाँ हो जाएगी।
  • अप्रत्यक्ष रोजगार की संभावना इससे कहीं अधिक है, क्योंकि सप्लाई चेन, लॉजिस्टिक्स और अन्य सहायक उद्योग भी तेज़ी से विकसित होंगे।

उत्पादन प्रक्रिया और टेक्नोलॉजी

यह फैक्ट्री उच्च स्तरीय Corning टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रही है। यहाँ बनने वाले टेम्पर्ड ग्लास की निर्माण प्रक्रिया में शामिल हैं:

  • ग्लास का कटिंग और शेपिंग
  • पोलिशिंग और रिंसिंग
  • केमिकल टेम्परिंग
  • कोटिंग और प्रिंटिंग
  • लैमिनेशन

👉 इन सभी प्रक्रियाओं से तैयार होने वाला ग्लास स्मार्टफोन, टैबलेट और वियरेबल डिवाइस की स्क्रीन सुरक्षा के लिए इस्तेमाल होगा।


ब्रांड नाम और उत्पाद रणनीति

Optiemus ने घोषणा की है कि इस टेम्पर्ड ग्लास को बाजार में “RhinoTech” ब्रांड नाम से उतारा जाएगा।

  • इसमें ग्राहकों को 1 साल की वारंटी और अनलिमिटेड रिप्लेसमेंट की सुविधा दी जाएगी।
  • कंपनी का लक्ष्य है कि भारतीय ग्राहकों को वैश्विक स्तर की क्वालिटी और भरोसा देश में ही उपलब्ध कराया जाए।

‘मेक इन इंडिया’ और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में अहम कदम

इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस मौके पर कहा कि:

  • पिछले 11 वर्षों में भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन ₹1.9 लाख करोड़ से बढ़कर ₹11.5 लाख करोड़ हो गया है।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात भी तेजी से बढ़ते हुए ₹3.5 लाख करोड़ तक पहुँच चुका है।
  • इस क्षेत्र में 2.5 मिलियन लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिला है।

👉 यानी भारत अब वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स हब बनने की ओर अग्रसर है।


भारतीय बाज़ार की विशाल संभावनाएँ

  • भारत में हर साल 50 करोड़ टेम्पर्ड ग्लास यूनिट्स की मांग है, जिसका मूल्य लगभग ₹20,000 करोड़ है।
  • वैश्विक टेम्पर्ड ग्लास बाजार का आकार $60 अरब (करीब ₹5.3 लाख करोड़) है।
  • अब तक इस मांग का लगभग 90% हिस्सा चीन और अन्य देशों से आयातित होता था, जिनकी गुणवत्ता भी अक्सर निम्न स्तर की रहती थी।

👉 Optiemus की इस पहल से भारत का इम्पोर्ट डिपेंडेंसी कम होगा और घरेलू ग्राहकों को बेहतर गुणवत्ता उपलब्ध होगी।


स्टॉक मार्केट में तेजी

इस उद्घाटन का सीधा असर स्टॉक मार्केट पर भी देखने को मिला।

  • उद्घाटन के बाद Optiemus Infracom के शेयरों में 10% तक की तेजी दर्ज की गई।
  • कंपनी का शेयर ₹556.3 से बढ़कर ₹590.7 तक पहुँच गया।
  • एनालिस्ट्स का मानना है कि आने वाले वर्षों में कंपनी के रेवेन्यू और प्रॉफिट में मजबूत वृद्धि देखने को मिलेगी।

उद्योग और सरकार की साझेदारी

यह फैक्ट्री इस बात का उदाहरण है कि कैसे सरकार की नीतियाँ (PLI स्कीम, लोकल मैन्युफैक्चरिंग सपोर्ट) और निजी क्षेत्र की निवेश इच्छाशक्ति मिलकर भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में आत्मनिर्भर बना सकती हैं।

  • PLI स्कीम के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स और मोबाइल कंपोनेंट्स बनाने वाली कंपनियों को सब्सिडी और टैक्स इंसेंटिव मिलते हैं।
  • सरकार का लक्ष्य है कि भारत अगले 5 सालों में इलेक्ट्रॉनिक्स और कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग में ग्लोबल लीडर बने।

फायदे और चुनौतियाँ

फायदे:

  1. आयात पर निर्भरता कम होगी।
  2. विदेशी मुद्रा की बचत होगी।
  3. रोजगार और स्किल डेवलपमेंट बढ़ेगा।
  4. भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स ब्रांड वैल्यू मजबूत होगा।

चुनौतियाँ:

  1. वैश्विक स्तर की क्वालिटी कंट्रोल बनाए रखना
  2. Phase-2 में ₹800 करोड़ निवेश और समय पर विस्तार सुनिश्चित करना।
  3. चीन और अन्य देशों से आने वाले सस्ते उत्पादों से प्रतिस्पर्धा करना।
  4. ROI (Return on Investment) और घरेलू डिमांड को स्थिर बनाए रखना।

विशेषज्ञों की राय

  • मार्केट एनालिस्ट्स मानते हैं कि इस फैक्ट्री से भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स सप्लाई चेन को मजबूती मिलेगी।
  • ब्रोकरेज हाउस का कहना है कि Optiemus Infracom का स्टॉक अब एक लॉन्ग-टर्म ग्रोथ स्टोरी बन सकता है।
  • इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि अगले 3–5 सालों में भारत ग्लोबल टेम्पर्ड ग्लास मैन्युफैक्चरिंग में एक अहम खिलाड़ी बन सकता है।

निष्कर्ष

नोएडा में Optiemus Infracom द्वारा स्थापित भारत की पहली टेम्पर्ड ग्लास फैक्ट्री सिर्फ एक नई यूनिट नहीं है, बल्कि यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में ऐतिहासिक कदम है।

  • यह पहल भारत को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स सप्लाई चेन में बड़ा स्थान दिलाएगी।
  • ग्राहकों को बेहतर गुणवत्ता और भरोसा घरेलू स्तर पर मिलेगा।
  • सरकार और निजी क्षेत्र की साझेदारी से रोजगार और निवेश में भारी बढ़ोतरी होगी।
  • स्टॉक मार्केट में भी कंपनी के प्रदर्शन से निवेशकों को बेहतरीन रिटर्न मिलने की उम्मीद है।

👉 कुल मिलाकर, यह प्रोजेक्ट भारत को “मेड-इन-इंडिया स्मार्टफोन और इलेक्ट्रॉनिक्स” के सपने को साकार करने के एक कदम और करीब ले गया है।

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